विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 47)
उस स्थान को अचानक फिर से स्याहियां घेरे लगीं, चारों ओर घना अंधेरा डरावना रूप धारण करने लगा, इस समय डार्क लीडर (धवल) अपनी शक्तियों को काफी हद तक अर्जित करने में सफल हो रहा था। उसके सिर में जल रहीं आग की लपटें आसमान छूने लगी, उसका रोम-रोम क्रोध से भर चुका था। आने वाले प्राणी ने घने अंधेरे में अपने चमकते हुए हथियार से वार किया, डार्क लीडर ने उस स्थान से हटकर स्वयं को बचा लिया। वह अस्त्र निश्चय ही सोर्ड-एक्स था। डार्क लीडर का क्रोध बढ़ता ही जा रहा था, वह एक ऐसा प्राणी था जिसने अपने जीवन के हर मोड़ पर धोखा ही खाया हुआ था, आज उसे हर एक का हिसाब करना था।
"तू कितना ही शक्तिशाली क्यों न सही, मेरे सामने पिद्दी है डार्क लीडर!" ग्रेमाक्ष ने डार्क लीडर के सामने खड़ा होकर उसे युद्ध के लिए ललकारा।
"मुझे आश्चर्य हो रहा है कि तूने इतने बड़े आश्चर्य को सहर्ष स्वीकार कर लिया, अब अपनी मृत्यु भी सहर्ष स्वीकार कर लो।" डार्क लीडर ने ग्रेमाक्ष द्वारा ललकारे जाने पर कहा।
"तुमने जिसके विश्वास जीते थे वह मेरे रूप थे बेवकूफ, स्वयं मैं नही! और इस दुनिया में किसी से वफादारी की उम्मीद करना ही सबसे बड़ी बेवकूफी है हाहाहा….!" ग्रेमाक्ष ने कटाक्ष कर हँसते हुए जवाब दिया।
"सच कहा!" डार्क लीडर धीमे से मुस्काया, "ये दुनिया और लोग ऐसे ही हैं, यहां वफ़ा के नाम पर लोग दगा किया करते है। जैसे तुमने किया, मेराण ने किया मेरे पिता और भाइयों ने किया। और अंत में स्वयं अंधेरे नव भी किया…!" क्रोध में उबलते हुए डार्क लीडर ने अपनी तलवार जमीन में गाड़ दी, और तेजी से कूदकर ग्रेमाक्ष की एक सींग को पकड़कर धोबी पछाड़ दे मारा, जिससे ग्रेमाक्ष लुढ़कते हुए नीचे आ गिरा। डार्क लीडर अब भी उस सींग को कसकर पकड़े हुए था।
"जिसने विस्तार को समाप्त कर दिया हो उससे उलझना तेरी भूल है डार्क लीडर! मगर अफसोस ये तेरी आखिरी भूल होगी।" ग्रेमाक्ष ने उसके पैरों को दोनों हाथों से खींचते हुए कहा, परन्तु इस समय डार्क लीडर की शक्तियां बढ़ रही थीं।
"उसको मारकर तुमने भूल की है ग्रेमाक्ष! तुम दोनों के टकराव से उत्पन्न ऊर्जा मेरी ऊर्जा का ही एक रूप थी, स्वयं विस्तार भी मेरी ही ऊर्जा का रूप है उसे तुम्हारे रूपों ने बुलाया क्योंकि तुम्हारे पास भी मेरी ही शक्तियां शक्तियां है जिसे उस गद्दार ने मुझसे चुराया। अब ऐसा कुछ नही होगा, युगों बाद सबकुछ ठीक करूँगा मैं, इस साम्राज्य का सम्राट बनूँगा मैं।" डार्क लीडर ने ग्रेमाक्ष को ललकारते हुए सच्चाई से अवगत कराया। "अब मुझे पुराना वाला समझने की भूल मत करना! तुम सबकी मौत के बाद बनूँगा मैं डार्क प्राइम! मैं ही हूँ अंधेरे का उत्तराधिकारी हाहाहा……!" डार्क लीडर दोनों हाथों से सींगो को पकड़ते हुए अपने सिर से ग्रेमाक्ष के चेहरे पर जोरदार टक्कर मारी।
"आँखे खोल ग्रेमाक्ष! ये देख मेरी जलती हुई खोपड़ी! न जाने कितने शताब्दियों तक मेरा चेहरा जलता रहा है, आज हर एक ज़ख्म का हिसाब होगा।" डार्क लीडर ने उसके आँखों में आंखे डालते हुए बोला। अब तक वीर उठ चुका था, वह अपने दोनों दुश्मनों को आपस में लड़ते देख खुश हुआ।
"तू अपना हिसाब पूरा करता रह डार्क लीडर! सच्चाई यह है कि अब भी तेरी शक्तियां मेरे सामने कुछ नही हैं।" ग्रेमाक्ष की बूम रे ने डार्क लीडर के सीने को चीरती हुई गुजर गई, डार्क लीडर के सीने के बीचों बीच दो सुराख बन गए, जहां से धुआं उड़ता हुआ नजर आ रहा था। वह कटे हुए तने की भांति धड़ाम से जमीन पर गिरा।
"अभी अभी तो इतनी लंबी लंबी फेंक रहा था, एक ही बार में निकल लिया!" वीर यह देखकर सोच में पड़ गया था।
"क्या तुम्हें भी अपने प्राणों से कोई मोह नही है वीर?" ग्रेमाक्ष गरजते हुए वीर की ओर बढ़ा।
"कमाल है! तुम्हें रत्तीभर भी हैरानी नही हुई। जो सदियों से तुम्हारे सेवक रहे आज तुम्हारे प्रतिद्वंद्वी हो गए क्या तुम्हें कोई प्रभाव नही पड़ा?" वीर, ग्रेमाक्ष को इस तरह क्रोध में बढ़ते देख पीछे हटने लगा, उसका चेहरा भय से सूखने लगा था।
"मैं स्वयं के अतिरिक्त किसी पर भी विश्वास नही करता वीर! तुमने मुझे फिर से मेरा सम्पूर्ण शरीर एक किया इसके लिए मैं तुम्हारा आभारी हूँ, पर अब तुम्हारा हाल भी डार्क लीडर के जैसा होगा।" ग्रेमाक्ष डार्क लीडर की ओर इंगित करता हुआ बोला पर डार्क लीडर का शरीर वहाँ पर नही था। "ड.. डार्क लीडर!" डार्क लीडर अपने स्थान पर नही यह देखकर ग्रेमाक्ष हैरान हुआ।
"लो तुमने हमें याद किया और हम चले आये।" डार्क लीडर ने ग्रेमाक्ष के पीछे से निकलते हुए कहा, उसके सीने के घाव भर चुके थे। इससे पहले ग्रेमाक्ष कुछ समझता डार्क लीडर ने उछलते हुए उसके हाथ पर तलवार से प्रहार किया, जिससे ग्रेमाक्ष को बस मामूली खरोंच आयी। ग्रेमाक्ष डार्क लीडर के इस बचपने पर जोर जोर से हँसने लगा, डार्क लीडर हौले से मुस्कुराया, उसके हाथों में एक छोटा सा बॉक्स नजर आया, वीर दोनों को लड़ते देख खुश हो रहा था, उसके चेहरे पर विजयी भाव लौट रहे थे।
"अब अपने अंतिम सफर को तैयार हो जाओ ग्रेमाक्ष!" ग्रेमाक्ष के वारों से बचते हुए डार्क लीडर ने अपना हाथ ग्रेमाक्ष के उसी घाव में घुसा दिया।
"अहह…!" ग्रेमाक्ष को सिर में तेज दर्द होने लगा, उसको ऐसा लग रहा था मानो अभी उसका सिर फट जाएगा। वह अपना सिर पकड़कर वहीं बैठ गया। आँखे कुछ भी देख पाने में सक्षम नही हो पा रही थी, पलके जबरदस्ती कर बंद होती जा रही थीं।
थोड़ी देर बाद जब उसकी आंखें कुछ देख सकने में सक्षम हुई तो आस पास के वातावरण का परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका था। ग्रेमाक्ष अपने आस पास के दृश्य को देखकर घबरा गया।
"नहीं! अब दुबारा से ये नही।" ग्रेमाक्ष घबराते हुए वहां से भागने का प्रयत्न करने लगा, पर वह हिल भी नही पा रहा था, उसके हाथ पैर और गले में चैन बंधी हुई थी। चारों तरफ आग ही आग दिखाई दे रही थी। वह आग के बीच में एक स्तम्भ पर बंधा हुआ था, उसके सामने एक बहुत संकीर्ण मार्ग था और चारों तरफ नुकीली चट्टानें उभरी हुई थी, जो ऊपर की ओर अपनी धार तेज करते हुए बढ़ती चली आ रह थीं। ये शायद कोई चलता फिरता सा नरक था, उन बंधनों में बंधे होने के कारण ग्रेमाक्ष की कोई शक्ति काम नही कर रही थी।
"मुझे यहां से निकालो!" ग्रेमाक्ष चीख रहा था, उसकी आँखें बिलबिला कर बाहर निकलने को बेताब हो रहीं थीं। लावा, अग्नि लहर का रूप धारण कर तांडव करने लगा, लावे में बन रहे भँवर, जिस स्तम्भ पर ग्रेमाक्ष था वहां तक आ रहे थे।
"मैं सदियों तक इस स्थान पर कैद रहा! नहीं अब ऐसा नही होगा। काली शक्तियों मुझे आजाद करो।" ग्रेमाक्ष जोर जोर से चींख रहा था। तभी लावे में से एक जीव निकलने लगा, उसका सिर ही इतना बढ़ा था कि वह उस स्तम्भ तक आसानी से पहुंच गया। उसकी नुकीली लावे से भरी सींगे किसी विशाल स्तम्भ के समान दिखाई दे रही थीं।
"तुम्हारा तुम्हारे अलावा कोई सहारा नही है ग्रेमाक्ष!" वह भयंकर जीव क्रूर स्वर में व्यंग्य करता हुआ बोला। उसकी आँखें ग्रेमाक्ष की शरीर से बड़ी दिखाई दे रही थीं।
"कौन हो तुम?" ग्रेमाक्ष का डर बढ़ता जा रहा था, वह इस स्थान से बहुत अधिक डरता था।
"मुझे भूल गए तुम?" वह प्राणी अब भी व्यंग्य कर रहा था। "मैं वो हूँ जिससे तुम सबसे ज्यादा डरते हो हाहाहाहा….!" उस प्राणी के अट्ठहास से वहां का लावा और दहकने लगा, ग्रेमाक्ष जिस चट्टानी स्तम्भ पर था वह लावे में धंसने लगी।
"ये कैसे हो सकता है।" ग्रेमाक्ष कि आँखे फटी की फटी रह गयी। उसके सामने वाला शख्स हूबहू उसके जैसा था, अत्यधिक विराट एवं शैतानी रूप में, ग्रेमाक्ष स्वयं की आँखों ओर यकीन नही कर पा रहा था।
"इस स्थान को तुमने बनाया है ग्रेमाक्ष! ये शक्तियां भी तुम्हारी है और मैं भी तुम हूँ! हाहाहा…! तुम उसी से सबसे ज्यादा डरते हो जिसके सबसे पास रहते हो।" वह प्राणी लगातार अट्ठहास करता जा रहा था, ग्रेमाक्ष का चेहरा सूख चुका था, उसकी आँखों में भय नाच रहा था।
"यह कैसे संभव है! मैं सदियों तक यहां कैद रहा। जब से यह शरीर ग्रेमन और नराक्ष के रूप में अलग हुआ तब से मैं इसी स्थान में कैद था। मैंने कई बार विस्तार पर काबू कर यहां से निकलना चाहा पर कभी सफल नही हो सका।" ग्रेमाक्ष अपना अतीत याद करता हुआ बोला। "एक बार मैं यहां से निकल जाऊं फिर सबको यमद्वार तक पहुंचा कर आऊंगा।" ग्रेमाक्ष उन बेड़ियों को तोड़ने का प्रयास कर रहा था, वह जितना ही अधिक कोशिश करता, बेड़िया और शक्ति के साथ कस जा रही थीं।
"वो मैं था तुम नही। तुम उन शरीरों के मेल से बने हो जो मुझसे अलग हुए थे। अब तुम किस किससे अलग होना चाहोगे हाहाहा…!" वह विशाल प्राणी जो ग्रेमाक्ष के समान दिख रहा था बाहर निकलने लगा। उसके समक्ष ग्रेमाक्ष चींटी से अधिक कुछ नही था।
"तुम ऐसा नही कर सकते! ग्रेमाक्ष किसी से नही डरता।" ग्रेमाक्ष ना डरने की कोशिश करता हुआ चिल्लाया, पर उसका गला सूख चुका था।
"कोई भी सबसे अधिक खुद से ही डरता है ग्रेमाक्ष! खुद की शक्तियों से! अब समय के अंत तक तुम इन्ही बेड़ियों में बिताओगे।" वह प्राणी झुककर, ग्रेमाक्ष को घूरते हुए बोला।
"मुझे कोई नही रोक सकता, खुद मैं भी नही! ग्रेमाक्ष को अंधेरे का सम्पूर्ण राज्य चाहिए।" कहते हुए ग्रेमाक्ष अपनी पूरी शक्ति से उन बेड़ियों को खींचने लगा, जिससे आसपास के कई स्तम्भ टूटकर ढहने लगे। "इस बार मुझे कोई भी नही रोक सकता, क्योंकि द्वार अब भी खुला हुआ है।" बेड़ियों को तोड़कर ग्रेमाक्ष आगे बढ़ा। वह प्राणी अचानक ही अदृश्य हो गया। ग्रेमाक्ष जिस चट्टान पर खड़ा था वो टूटने लगी, नीचे गिरने का मतलब था असंख्य शूलों में बिंधकर मौत का इंतजार करना।
चट्टान के नष्ट होते ही ग्रेमाक्ष लावे में उभरे नुकीली चट्टानों पर गिरने लगा, यह देखकर उसका रोम रोम सिहर गया, उसके हाथों और पैरों में अब भी बेड़िया बंधी हुई ही थी। वह तेजी से नीचे गिरता जा रहा था अचानक उसके पैर में बंधी हुई चैन उस संकरे रास्ते में उलझ गयी जिससे ग्रेमाक्ष उल्टा लटक गया। उसके आंखों के सामने नुकीली चट्टान थी, रत्तीभर भी नीचे आने का अर्थ साक्षात मृत्यु ही थी। ग्रेमाक्ष अपनी पूरी शक्ति लगाकर ऊपर उछलने की कोशिश किया पर इसके कारण वह सँकरा मार्ग भी टूटकर बिखरने लगा। ग्रेमाक्ष का शरीर तेजी से नुकीली चट्टानों की ओर बढ़ने लगा।
"मैं जानता हूँ तुम में कोई भावना नही है ग्रेमाक्ष! परन्तु यहां से बाहर जाने का विचार त्याग दो।" वातावरण फिर से कुछ देर पहले की तरह हो गया, ग्रेमाक्ष अब भी उसी चट्टानी स्तम्भ पर बेड़ियों से कसकर बंधा हुआ था।
"मैं जानता हूँ ये जो भी है सच नही है! मैं यहां से बाहर निकलकर ही रहूंगा।" ग्रेमाक्ष चीखते हुए बोला। अगले ही पल उसका ध्यान खुद के शरीर पर गया, वह बुरी तरह से घायल था, उसके शरीर पर अनेकों स्थान पर चोट लगी थी, जहाँ से अभी भी रक्त बह रहा था जो इन घावों के ताजे होने की पुष्टि कर रहा था। ग्रेमाक्ष को कुछ भी समझ नही आ रहा था वह बेबस सा चीखता जा रहा था।
क्रमशः…..
Niraj Pandey
09-Oct-2021 12:27 AM
शानदार जबरदस्त👌👌
Reply
Shalini Sharma
02-Oct-2021 09:23 AM
Nice
Reply
Seema Priyadarshini sahay
07-Sep-2021 04:07 PM
वाह बहुत हीअच्छा लिख रहे हैं आप सर
Reply